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Utpanna Ekadashi Pujan Muhurat : उत्पन्ना एकादशी कब मनाएं , जानें इस खास दिन का महत्व और सही पूजा मुहूर्त

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Utpanna Ekadashi Pujan Muhurat : उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखती है, और यह व्रत खासतौर पर भगवान विष्णु की उपासना से जुड़ा हुआ है। इस दिन का व्रत करने से जीवन में सुख, समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है।

क्या आप भी जानना चाहते हैं कि उत्पन्ना एकादशी 2025 कब है, व्रत पारण का मुहूर्त और इस दिन पूजा का सही समय क्या है? तो इस लेख को ध्यान से पढ़ें।

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

उत्पन्ना एकादशी का व्रत हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के परम भक्तों द्वारा बहुत श्रद्धा से मनाया जाता है।

मान्यता है कि इस दिन माता एकादशी का जन्म हुआ था, जिन्होंने भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न होकर मूर नामक राक्षस का वध किया। इसलिए इसे अत्यंत पुण्यकारी और महत्वपूर्ण माना जाता है।

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यधिक पवित्र और फलदायक माना जाता है। कहा जाता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है, और जीवन में आने वाली सभी तरह की समस्याओं का समाधान होता है।

यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो समृद्धि, सुख और मुक्ति की प्राप्ति की इच्छा रखते हैं।

उत्पन्ना एकादशी 2025 की तिथि

उत्पन्ना एकादशी 2025 में 15 नवंबर को रात 12:49 बजे से शुरू होकर 16 नवंबर को रात 2:37 बजे समाप्त होगी। इस दिन व्रत रखने का मुख्य समय 15 नवंबर को शनिवार को रहेगा, जब उदया तिथि के अनुसार व्रत पूरा किया जाएगा।

उत्पन्ना एकादशी के पूजन और व्रत पारण का मुहूर्त

व्रत का पूजन मुहूर्त और व्रत पारण का समय विशेष महत्व रखता है। यहां कुछ खास मुहूर्त दिए गए हैं:

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:58 बजे से सुबह 05:51 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 01:53 बजे से दोपहर 02:36 बजे तक

गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:27 बजे से शाम 05:54 बजे तक

अमृत काल: दोपहर 03:42 बजे से शाम 05:27 बजे तक

व्रत पारण मुहूर्त

उत्पन्ना एकादशी का व्रत पारण 16 नवंबर 2025, रविवार को किया जाएगा। इसका शुभ समय दोपहर 01:10 बजे से 03:18 बजे तक रहेगा। इस दौरान पारण करने से व्रत का पूरा फल मिलता है।

उत्पन्ना एकादशी व्रत का फल

उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि यह व्रत पापों से मुक्ति दिलाने का कार्य भी करता है।

इसके अलावा, इस व्रत के जरिए भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाती है। इसके साथ ही स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति में भी वृद्धि होती है।

कैसे करें उत्पन्ना एकादशी का व्रत?

उत्पन्ना एकादशी का व्रत निर्जला यानी बिना पानी के रखा जाता है, हालांकि कुछ लोग इसे व्रति भोजन के साथ भी करते हैं। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।

व्रति को पूरे दिन मंत्रों का जाप और भजन-कीर्तन करते रहना चाहिए। रात को शयन से पहले श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना शुभ रहता है।

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