Tulsi Shaligram Vivah : हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और देवी तुलसी के पवित्र मिलन का पर्व — तुलसी विवाह — अत्यंत शुभ और मंगलदायक माना जाता है।
यह विवाह देवउठनी एकादशी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक मनाया जाता है। हर साल की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं में सवाल है — तुलसी विवाह एकादशी को करें या द्वादशी को?
आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य की राय और इस पावन पर्व से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।
तुलसी विवाह एकादशी या द्वादशी को कब करें?
तुलसी विवाह भगवान विष्णु के रूप शालिग्राम और देवी तुलसी (देवी वृंदा) का अनुष्ठानिक विवाह है। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि देवउठनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक के पांच दिन तुलसी विवाह के लिए शुभ रहते हैं, लेकिन द्वादशी तिथि को विवाह कराना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है।
इस वर्ष तुलसी विवाह 2 नवंबर को मनाना सबसे उत्तम रहेगा, क्योंकि उस दिन द्वादशी तिथि विद्यमान रहेगी। इस दिन विवाह कराने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह करवाने से कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर श्रद्धा से तुलसी विवाह कराता है, उस पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है।
इस दिन का पूजन व्यक्ति के जीवन से कष्टों का निवारण करता है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाता है।
तुलसी विवाह की विधि
तुलसी विवाह का आयोजन घर के आंगन, बालकनी या पूजाघर में किया जा सकता है। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार है: तुलसी के पौधे को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें और आसपास रंगोली बनाकर मंडप सजाएं।
भगवान शालिग्राम को तुलसी के पौधे की दाहिनी ओर स्थापित करें। माता तुलसी को चुनरी, बिंदी, साड़ी और सोलह श्रृंगार से सजाएं। भगवान शालिग्राम को गंगाजल से स्नान कराएं और चंदन लगाएं।
तुलसी माता को रोली, फूल, फल, मिठाई, गन्ना और पंचामृत अर्पित करें। ध्यान रखें — शालिग्राम भगवान पर चावल नहीं चढ़ाते, उसकी जगह तिल या सफेद चंदन अर्पित करें।
अब धूप-दीप जलाकर तुलसी और शालिग्राम भगवान के सात फेरे कराएं। विवाह के पश्चात आरती उतारें और परिवारजनों में प्रसाद वितरित करें।
शुभ मुहूर्त (2 नवंबर के लिए)
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:50 से 05:42 तक
अभिजित मुहूर्त – दोपहर 11:42 से 12:26 तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 01:55 से 02:39 तक
अमृत काल – सुबह 09:29 से 11:00 तक
त्रिपुष्कर योग – सुबह 07:31 से शाम 05:03 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग – शाम 05:03 से अगले दिन सुबह 06:34 तक
इन मुहूर्तों में तुलसी विवाह करने से विशेष फल प्राप्त होता है और जीवन में हर कार्य में सफलता का आशीर्वाद मिलता है।
तुलसी विवाह से जुड़ी मान्यता
कहते हैं कि जब भगवान विष्णु ने देवी वृंदा का व्रत भंग किया था, तब उन्होंने तुलसी के रूप में जन्म लिया। उसी के बाद से शालिग्राम और तुलसी के विवाह की परंपरा आरंभ हुई।
इस दिन अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की कामना से और विवाहित महिलाएं वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए तुलसी विवाह करती हैं।
तुलसी विवाह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भक्ति, समर्पण और पारिवारिक एकता का प्रतीक है। द्वादशी तिथि पर श्रद्धा और विधि-विधान से किया गया तुलसी विवाह जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और मानसिक शांति प्रदान करता है।
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