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न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने अधिकारियों और अन्य संबंधित पक्षों को आवारा कुत्तों के पुनर्वास के संबंध में सिफारिशें देने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा, कुत्ते दुनिया के सबसे प्यारे जानवर हैं और इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त हैं। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कुत्तों की सुरक्षा की जाए और उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाए।
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यह बताए जाने पर कि लगभग 70 प्रतिशत कुत्तों की नसबंदी से समस्या का समाधान हो जाएगा, न्यायाधीश ने कहा कि प्रस्तावित समाधान पिछले तीन दशकों से जारी था, लेकिन कोई बदलाव नहीं आया। अदालत ने कहा, नसबंदी बिल्कुल भी कारगर नहीं है। यह समाधान नहीं है।
यह भी अदालत के संज्ञान में लाया गया कि लगभग 200 कुत्ते, जिन्हें पहले एक आश्रय गृह में भेजा गया था, अब सड़क पर छोड़े जाने वाले हैं क्योंकि दिल्ली नगर निगम (MCD) द्वारा उस अस्थाई आश्रय गृह को ध्वस्त किया जाना है। अदालत ने कहा कि दिल्ली के मुख्य सचिव द्वारा आयोजित बैठक में केवल कुत्तों की नसबंदी का प्रस्ताव ही आया था। अदालत ने कहा कि विभिन्न पशु जन्म नियंत्रण केंद्र काम नहीं कर रहे हैं और 78 पशु चिकित्सालय बंद पड़े हैं।
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अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर के लिए निर्धारित की। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने राजधानी के अधिकारियों से संस्थागत स्तर पर आवारा कुत्तों के पुनर्वास के लिए एक नीति बनाने को कहा था ताकि उन्हें सड़कों और गलियों से चरणबद्ध तरीके से हटाया जा सके। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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